ख़्वाब
सुहानी रात है आयी, चलो ख़्वाबों में खो जाएं,
पुरानी याद का बिस्तर, लगा यादों में सो जाएं।
हमारे ख़्वाब तुम आना, तुम्हारे ख़्वाब मैं आऊं-
खयालों की जहाँ में हम, इक दूजे के हो जाएं।।
©पंकज प्रियम
4 जुलाई 2019
शुभरात्रि
समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
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