मुक्तक/ कर नाटक
हुआ नाटक शुरू फिर से, सियासी खेल कर्नाटक,
लगी फिर रेस कुर्सी की, टूटा जो दिल का फ़ाटक।
मिलन बेमेल जब होता, कभी रिश्ता कहाँ टिकता-
सियासी स्वार्थ का नाता, सदा होता बड़ा घातक।।
©पंकज प्रियम
7 जुलाई 2019
No comments:
Post a Comment