Monday, October 8, 2018

449.श्रद्धा। मुक्तक

श्रद्धा
विधा-मुक्तक

श्रद्धा हो अगर मन में,खुदा आसान हो जाता
श्रद्धा जो नहीं दिल में,खुदा पाषाण हो जाता
मिलेगा सब यहीं तुझको,जरा श्रद्धा तो रक्खो
श्रद्धा हो अगर तन में,मन भगवान हो जाता।

श्रद्धा है तो सुमिरन है,श्रद्धा है तो समर्पण है
श्रद्धा ही भजन कीर्तन,श्रद्धा है तो अर्पण है
सारा श्राध्द अधूरा है,अगर श्रद्धा नहीं उसमें
तन को मोक्ष जो दे दे,श्रद्धा है तो तर्पण है।

©पंकज प्रियम

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