गाँधी जयंती :मुक्तक
मेरे बापू का था सपना,स्वच्छ भारत हो अपना
नहीं मैली रहे गंगा, नहीं गन्दा रहे यमुना
बने सोने की फिर चिड़ियां,कदम चूमे पूरी दुनियां
नहीं लाचार हो कोई,ना हिंसा की कोई घटना।
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जमीं पे लौट कर देखो,हुआ है हश्र क्या देखो
हुई गंगा बहुत मैली,नदी का हाल क्या देखो
बहुत हिंसा है फैली,चले हर बात पे गोली
बड़ा बीमार सिस्टम है,हुआ बेहाल क्या देखो।
3
नमन हम आज करते हैं,तुम्हें हम याद करते हैं
तेरे कदमों पे ही चलना,यही फरियाद करते हैं
तेरे सपनों के भारत की,हमें आधार है रखना
अहिंसा और सुरक्षा की,अब शुरुआत करते हैं।
©पंकज प्रियम
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