Thursday, October 11, 2018

455.शक्ति

शक्ति

मन की शक्ति बढ़े तो बेहतर
तन की शक्ति का क्या है?
उसे तो राख में मिल जाना है।

मन की शक्ति से जीत है
मन की शक्ति से ही हार
जंग जो मन की जीत ली
तन की फिर कैसी हार!

मन की शक्ति से बड़ी
कहाँ कोई और तलवार।
मन की शक्ति जो करे
कहाँ कोई करे हथियार।

©पंकज प्रियम

No comments: