माँ दुर्गा !फिर अवतार धरो
चण्ड मुण्ड का संहार करो
महिषासुर पर तुम वार करो
दुष्टों में फिर हाहाकार करो।
माँ दुर्गा! फिर अवतार धरो।
चण्ड मुण्ड का संहार करो
महिषासुर पर तुम वार करो
दुष्टों में फिर हाहाकार करो।
माँ दुर्गा! फिर अवतार धरो।
बहुत चढ़ा है ताप यहाँ पर
बहुत बढ़ा है पाप यहाँ पर
बहुत बढ़ा सन्ताप यहाँ पर
पापियों का तुम संहार करो
माँ दुर्गा!फिर अवतार धरो।
बहुत बढ़ा है पाप यहाँ पर
बहुत बढ़ा सन्ताप यहाँ पर
पापियों का तुम संहार करो
माँ दुर्गा!फिर अवतार धरो।
घर घर सिसकती एक नारी
हवस भरी नजरों की मारी
तुम समझो उसकी लाचारी
असह्य वेदना से उद्धार करो।
माँ दुर्गा! फिर अवतार धरो।
हवस भरी नजरों की मारी
तुम समझो उसकी लाचारी
असह्य वेदना से उद्धार करो।
माँ दुर्गा! फिर अवतार धरो।
सरहद पे मर रहा जवान
कर्ज़ में पीस रहा किसान
मर्ज़ बिना मर रहा इंसान।
इनका बेड़ा तुम पार करो
माँ दुर्गा! फिर अवतार धरो।
कर्ज़ में पीस रहा किसान
मर्ज़ बिना मर रहा इंसान।
इनका बेड़ा तुम पार करो
माँ दुर्गा! फिर अवतार धरो।
महँगाई तो देखो हुई चरम
हरपल धरती हो रही गरम
बेहयाई पे उतर आई शरम
कुसंस्कृतियो की हार करो
माँ दुर्गा!फिर अवतार धरो।
हरपल धरती हो रही गरम
बेहयाई पे उतर आई शरम
कुसंस्कृतियो की हार करो
माँ दुर्गा!फिर अवतार धरो।
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