Thursday, October 4, 2018

446.मुक्तक। सपने

सपने। मुक्तक

पलक जो बन्द कर देखा,वही सपना होता है
पलक जो खोल कर देखा,वही अपना होता है
कहाँ पूरे हुए सपने,कहाँ कब हो सके अपने
उड़ा दो नींद आंखों की,तभी अपना होता है।

©पंकज प्रियम

No comments: