Sunday, October 7, 2018

445. मिला ही नहीं

खुशबू यकीनन महक जाती मगर
फूल आपसा कोई खिला ही नहीं।
नजरें यक़ीनन बहक जाती मगर
यहाँ आपसा कोई मिला ही नहीं।
©पंकज प्रियम

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