Friday, October 19, 2018

453.मुक्तक। आगाज


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बुराई खत्म कर दिल का,नया आगाज तुम कर लो
कहाँ देखा कल किसने,मुहब्बत आज तुम कर लो
नहीं रावण जले कोई...कदम तुम राम के चलना
बहा दो प्रेम की गंगा.....दिलों पे राज तुम कर लो।
©पंकज प्रियम

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