Monday, October 1, 2018

442.बिखरे अहसास

रिश्तों ने की साज़िश ऐसी
#बिखर गये अहसास मेरे
लफ्ज़ों ने की साज़िश ऐसी
बिखर गये अल्फाज़ मेरे।
अश्क़ों की हुई बारिश ऐसी
भींग गये सब ख़्वाब मेरे
काँटों ने की साज़िश ऐसी
बिखर गये सब गुलाब मेरे।
अपनों ने की रंजिश ऐसी
दुश्मनों की दरकार नहीं
अपनों ने की बंदिश ऐसी
सपनों में भी प्यार नहीं।
ख़्वाबों की ख्वाहिश ऐसी
बचा नहीं कुछ  पास मेरे
हसरतों की नुमाइश ऐसी
बचे नहीं अहसास मेरे।
©पंकज प्रिय

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