Monday, October 28, 2019

702. नाम


कोई गुमनाम मरता है,  कोई बदनाम करता है,
सफ़र-ऐ-जिंदगी में भी, कोई आराम करता है।
नहीं शिकवा किसी से हो, नहीं कोई शिकायत हो-
कदम मिलके बढ़ाये जो, वही तो नाम करता है।।

©पंकज प्रियम

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