क्यूँ देखे तू चँदा
गीत
क्यूँ देखे तू चँदा, खुद चेहरा तेरा चाँद सा,
क्यूँ देखूँ मैं चँदा, जब प्यारा मेरा चाँद सा।
ऐ बता चाँद तू देखता है क्यूँ मुझको चोर सा,
चाहत होगा तू चकोर का, क्या होगा भोर का।
क्यूँ इंतजार करना, ये मुखड़ा तेरा चाँद सा।
क्यूँ देखे तू ...।
चाँद के दीदार को, क्यूँ नजरें बेक़रार है,
प्यार है संस्कार है, प्रियतम का इंतजार है।
करवा चौथ पे मनुहार, कैसा तेरा चाँद सा।
क्यूँ देखे तू...।
सबको रहता इंतज़ार, करवाचौथ रात का,
निकल आओ रे चाँद, मामला है जज़्बात का,
चंद्रदर्शन को व्याकुल, चेहरा तेरा चाँद सा।
क्यूँ देखे तू ...।
पुलकित धरती गगन, हर्षित बहता पवन,
चाँदनी रात में, महका तन-मन "प्रियम"।
एक चाँद को देखने खिला, चेहरा चाँद सा।
क्यूँ देखे तू...।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड
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