एक आदमी का यह जीवन
तीन औरत का होता उधार।
माँ की जितिया पत्नी तीज
बहन का राखी दूज त्यौहार।।
तीन औरत का होता उधार।
माँ की जितिया पत्नी तीज
बहन का राखी दूज त्यौहार।।
एक आदमी की हर धड़कन,
कहती सदा यह बारम्बार।
उनसे धक-धक मैं हरक्षण,
उनकी मुहब्बत अपरम्पार।।
कहती सदा यह बारम्बार।
उनसे धक-धक मैं हरक्षण,
उनकी मुहब्बत अपरम्पार।।
एक आदमी की हर साँसे,
कहती यही सबसे हरबार।
डोर ये साँसों की तबतक,
जबतक औरत का है प्यार।।
कहती यही सबसे हरबार।
डोर ये साँसों की तबतक,
जबतक औरत का है प्यार।।
एक आदमी का ये तनमन,
तीन औरत का होता उधार।
माँ की ममता, पत्नी प्रेम-
और बहनों का लाड़ दुलार।। ©पंकज प्रियम
29/10/2019
तीन औरत का होता उधार।
माँ की ममता, पत्नी प्रेम-
और बहनों का लाड़ दुलार।। ©पंकज प्रियम
29/10/2019
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