Tuesday, October 15, 2019

687. इश्क़ अंज़ाम

इश्क़ अंज़ाम
ग़ज़ल
212 212 212 212
याद आएं अगर एक पैगाम दो,
नाम लेकर मेरा इश्क़ अंजाम दो।

प्यार में जब कभी तुम तड़पने लगो
हिचकियों को सदा तूम मेरा नाम दो।

छोड़ दो क्या जमाना कहेगा यहाँ,
दिल सुकूँ जो मिले वही जाम दो।

हम तुम्हें चाहते इस कदर हैं सनम,
चैन खोता हूँ हर दिन जरा शाम दो।

मौत जो गर लिपट जाएगी बाँह में,
तब प्रियम को तिरंगे में आराम दो।

©पंकज प्रियम

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