Saturday, October 26, 2019

699. जख़्म दिल का

2122   2122
हाल किसको क्या बतायें,
ज़ख्म किसको हम दिखायें।

दर्द आँसू बन के निकले,
रोक उसको हम न पायें।

दिल ज़िगर जाने वफ़ा में,
कब तलक आँसू बहायें।

इश्क़ में मजबूर दिल यह
गम सदा खुद में छुपायें।

तोड़ कर वो दिल प्रियम का,
गैर से वह दिल लगायें।
©पंकज प्रियम

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