Wednesday, October 23, 2019

695. दौलत


मुक्तक,
रदीफ़-दौलत
विधाता छंद
1222 1222 1222 1222
नहीं पैसा नहीं रुपया, नहीं गहना धनोदौलत,
मिले सम्मान जो हरपल, हकीकत में वही दौलत।
सभी दौलत सभी शोहरत,यहीं रह जाएगी हसरत-
मुहब्बत पा लिया तो फिर, समझ लो मिल गयी दौलत।।
©पंकज प्रियम

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