वर दे
वर दे! माँ भारती तू वर दे,
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
अहम-द्वेष तिमिर मन हर,
स्वच्छ मन स्वस्थ तन कर।
शील स्नेह सम्मान भर दे,
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
बाल अबोध सुलभ सा मन,
मूढ़-जड़ अबूझ सरल मन।
अज्ञानता को मन से हर ले,
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
अनजान अनगढ़ अनल मन,
नव संचार विचार नव मन।
सत्य असत्य का ज्ञान भर दे।
वर दे माँ शारदे तू वर दे।
तनमन सब तुझको ही अर्पण,
जीवन को करता हूँ समर्पण।
हरक्षण मेरा नवविहान कर दे।
वर दे! माँ भारती तू वर दे।
वीणापाणि पुस्तक धारिणी,
बुद्धि विवेक विद्या दायिनी।
मन में ज्ञान का संचार कर दे,
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
धरती के तू हर कणकण में,
सत्य साधना के आँगन में।
ज्ञान दीप प्रकाश तू भर दे,
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
© पंकज भूषण पाठक"प्रियम्
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