विधा -घनाक्षरी
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बच्चों के प्यारे कलाम
सबसे न्यारे कलाम
तुझको मेरा सलाम
तुझपे ही नाज है।
झोपड़ में पला बढ़ा
फिर भी ऊपर चढ़ा
नाम तेरा हुआ बड़ा
तेरा ये अंदाज़ है।
बेचकर अखबार
किया सपने साकार
बड़ा फ़लक आकार
बना सरताज है।
परमाणु परीक्षण
तेरा ही तो समर्पण
याद तुझे हरक्षण
करे सब आज है।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड
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