Thursday, July 19, 2018

386.सावन

सावन की पुकार

कारे कारे बदरा छाए
झूम झूम बरखा आए
मोर,पपीहा नाचे गाए
सुन सावन की पुकार।

लबालब, ताल तलैया
बूंदे करती, ता ता थैया
भींगे सजनी,झूमे सैंया
चले पुरबा की कटार।

खेतों में पानी भर आए
देख कृषक मन हर्षाए
मेढ़क क्या खूब टर्राए
सब गाए,मेघ मल्हार।

हरियाली मन बहकाए
फूलों से तन महकाए
बागों में झूले लगवाए
सजनी सोलह सिंगार।
©पंकज प्रियम

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