रोज ही समझाता हूँ,मैं अपने यार को
अपने दिल में छिपा कर रखो प्यार को।
अपने दिल में छिपा कर रखो प्यार को।
बहुत कठिन है चलना मुहब्बत के रास्ते
इश्क़ कभी जँचता नहीं इस संसार को।
इश्क़ कभी जँचता नहीं इस संसार को।
क्या नहीं करता कोई मुहब्बत के वास्ते
शिद्दत से निभाता है,हरेक किरदार को।
शिद्दत से निभाता है,हरेक किरदार को।
चलना है इस डगर,आहिस्ते आहिस्ते
समझना बहुत मुश्किल है इक़रार को।
समझना बहुत मुश्किल है इक़रार को।
हम तो सब कह गए,तुम्हें कहते कहते
तुमने समझा ही नहीं, मेरे इज़हार को।
तुमने समझा ही नहीं, मेरे इज़हार को।
©पंकज प्रियम
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