भाग्य से मोक्ष तक
भाग्य रहता साथ उसी के
जो अपनी राह बनाता है।
समय चलता साथ उसी के
जो सबको राह दिखाता है।
भाग्य रहता ....
दान ग्रहण होता है उसका
जो गरीबों की भूख मिटाता है।
जन्म सफल होता है उसका
जो सबका दुःख दर्द बंटाता है
भाग्य रहता....
जाति-धर्म कैसा मज़हब?
कर्म ही पहचान बनाता है।
खुलता मोक्ष का द्वार जब
मन लिप्सा रहित हो जाता है।
भाग्य रहता....
पंकज भूषण पाठक"प्रियम"
गिरिडीह,झारखण्ड
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