दाग
कपड़ों के धुल जाते मगर
कहां धुलते दामन के दाग
ना साबुन,ना कोई सोडा,
ना मिटा सकता है झाग।
आंखों से तो दिखता नही
पर छपता सबके दिमाग।
लाख जतन चाहे कर लो
छुपता नहीं कभी ये दाग।
कठिन डगर है ये जीवन
पग रखना बड़ी संभाल।
थोड़ी सी जो चूक हुई तो
हो जाता है जीना मुहाल।
दुनिया काजल की कोठरी
हर कोने में जल रही आग
भूल से भी गर भूल हो गई
समझो कि लग गया दाग।
©पंकज प्रियम
No comments:
Post a Comment