Thursday, July 5, 2018

374.मुस्कुरा दो

मुस्कुरा दो
अपने दर पे ना भले आसरा दो
मेरी खातिर जरा सा मुस्कुरा दो।
कब तलक हम रहे,राह तकते
कब मिलोगे जरा,ये तो बता दो।
जो लबों से नहीं, कुछ भी कहते
निगाहों से ही तुम,सब जता दो।
इश्क़ में रुखाई,नहीं तेरी अच्छी
अपने दिल से दुश्मनी मिटा दो।
खुल गयी बात,सब झूठी सच्ची
अपने चेहरे से तुम पर्दा हटा दो।
पहले मेरी तुम ख़ता तो बताओ
चाहे फिर तुम,मुझे जो सज़ा दो।
अपने दिल में,प्रियम को बसाओ
चाहे फिर तुम,जमाना भुला दो।
©पंकज प्रियम

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