भ्रस्टाचार
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सब लुटे मिलकर
खाये पैसे जमकर
मंत्री,नेता,अफसर
यही सरकार है।
कोठा बना है दफ़्तर
बाबू बैठा है अंदर
दल्ला खड़ा है बाहर
जनता लाचार है।
मायूस बैठी जनता
रिश्वत नहीं जो देता
काम कहां से होता
सिस्टम बेकार है।
घूस बना नजराना
भ्रष्ट है पूरा जमाना
मुश्किल है पार पाना
यही भ्रस्टाचार है।
©पंकज प्रियम
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