7 फेरों में 10 कदम
दो अनजाने,दो कदम
मिलकर बने हमकदम
एक तुम और एक हम
गुजरते राह पहुंच गए
सात फेरों के दस कदम।
खट्टी मीठी बातों का
चाँद सरीखे रातों का
दिल के जज्बातों का
तान छेड़ हम बन गए
सात सुरों के सरगम।
सात फेरों के दस कदम।
सुख दुःख के हैं साथी
जलके खुद पिघलाती
जैसे दिया और बाती
जलते बुझते सज गए
द्वार दशक के हमदम।
सात फेरों के दस कदम।
दिवस विश्व आबादी का
दिवस हमारी शादी का
बन्धन वो आज़ादी का
रिश्तों के धागे कर गए
दो अजनबियों का संगम।
सात फेरों के दस कदम।
©पंकज प्रियम
11.07.2018
#शादी की 10 वीं सालगिरह
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