Wednesday, July 18, 2018

385.संहार करो

संहार करो

बहुत सह लिया घात भीतरी,अब प्रतिकार करो
दुश्मनों के घर में घुसकर,चढ़के उनपर वार करो।

आ गया है वक्त अब,पौरुष अपना दिखाने का
टूट पड़ो आतंकी पे अब,खुद इक तलवार करो।

तुझपे टिकी है नजरें सारी, है उम्मीद जमाने का
कूद पड़ो रणभूमि में,दुश्मन का अब संहार करो।

तुम्हें पुकारती मां भारती,वक्त है कर्ज चुकाने का
मातृभूमि की रक्षा में,खुदको युद्ध में तैयार करो।

सज धज के खड़ा तिरंगा,वक्त उसे लहराने का
गाड़ दुश्मनों की छाती में,झंडे का सत्कार करो।

हर जवान खड़ा देश का,सज है रक्त बहाने को
जय हिन्द के नारों से,बस तुम अब हुँकार करो।

©पंकज प्रियम

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