बाबुल अब तुम,कर दो विदा
बेटी अब तेरी ससुराल चली।
हुआ अब तो ये आंगन जुदा
छोड़के तुझको तेरे हाल चली।
बेटी तेरी अब....
माफ़ करना सब मेरी तुम ख़ता
नए घर में खुद को मैं ढाल चली।
दूर सबसे रहना,कैसे ये तो बता
बेटी करके खुद को बेहाल चली।
बेटी तेरी अब...
लाल जोड़े में दिया मुझको सजा
छोड़कर घर अब हरहाल चली
हाथ जोड़े खड़ी मांगती है विदा
बंद आँखों में आँसू संभाल चली।
बेटी तेरी अब...
तोड़कर जोड़ना एक रिश्ता नया
देखो कैसे खुद को संभाल चली।
मैया तुम अब न और आँसू बहा
बेटी तेरी हो अब खुशहाल चली।
बेटी तेरी अब....
©पंकज प्रियम
समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
Wednesday, July 11, 2018
381.बेटी ससुराल चली
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