Saturday, July 7, 2018

377. हालात बदलने के

आसार कुछ तो दिखे हालात बदलने के
हालात कुछ तो बने,जज़्बात मचलने के।

कब तलक तन्हा हम यूँ सफ़र करते रहें
राह कोई तो दिखे कभी साथ चलने के।

सांस लेकर भी यहां हम रोज मरते रहे
कोई सांझ तो दिखे,जिंदगी ढलने के।

दूर रहकर भी हम तुझमें ही जीते रहे
जरा एहसास तो जगे,तेरे पास रहने के।

गमों को आँसुओ में घोलकर पीते रहे
दवा कोई तो बने,दर्द-ए- दिल सहने के।
©पंकज प्रियम

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