Tuesday, July 10, 2018

380.चाँद शरमा गया

चाँद शरमा गया

तेरा रूप देखकर,चाँद शरमा गया
गोरा धूप देखकर,आँख भरमा गया।
तूने कजरारे नैनों से मारी जो कटार
बिन आग के फ़ाग भी गरमा गया।
                           तेरा रूप...
अंग अंग हर रंग,तू कमाल सी है
तेरा हर एक ढंग,तू बवाल सी है
पल पल बदले,जो तेरा ये मिज़ाज
तेरे हाल पे मौसम भी भरमा गया।
                           तेरा रूप...
तेरे होठों की लाली,गुलाब सी है
तू फूलों की डाली, शबाब सी है
लचके कमर जो, तेरा बेहिसाब
तेरे चाल से मोर,भी शरमा गया।
                        तेरा रूप देखकर
जिस्म ओढ़े जवानी,हिज़ाब सी है
तेरी हर एक अदा,बेहिसाब सी है
तूने खोली जो,दिल की किताब
तेरा राज देखकर,सब भरमा गया।
                        तेरा रूप....
©पंकज प्रियम
10.7.2018

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