Sunday, December 16, 2018

482.गुलाबी धूप


सुनो मेरे दिल की बात
सर्दी का ये शुभ प्रभात
और ये तेरा मेरा साथ
क्यूँ करे सर्दी की बात
जब हाथों में हो तेरा हाथ।
है याद मुझे वो दिन सुहाना
मखमली धूप बनकर आना
हौले-हौले पीछे से वो तेरा
मुझसे आकर लिपट जाना।
याद आती है वो सारी बात
जब हाथों में हो तेरा हाथ।
सुनहरी किरणों से सजी
गुलाबी धूप हो या फिर
कड़कड़ाती-सी सर्द रात।
क्यूँ करना ओस की बात
जब हाथों में हो तेरा हाथ।
प्यार हमारा जब है गहरा
गर्म साँसों का जब है पहरा
सर्द पवन फिर कब है ठहरा
तो क्यूँ करें पछुआ की बात
जब हाथों में हो तेरा हाथ।
©पंकज प्रियम

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