Sunday, December 23, 2018

489.ज़ालिम सर्दी


थरथराते हाथ ये मेरे,बज रहे दांत ये प्यारे,
रजाई में छुपा रखा,कंपकपाते गात ये प्यारे।
बड़ी ज़ालिम है#सर्दी ये,सताती तन्हा रातों को,
उड़ाती नींद है मेरी, तेरी मुलाकात ये प्यारे।।

©पंकज प्रियम

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