समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
थरथराते हाथ ये मेरे,बज रहे दांत ये प्यारे, रजाई में छुपा रखा,कंपकपाते गात ये प्यारे। बड़ी ज़ालिम है#सर्दी ये,सताती तन्हा रातों को, उड़ाती नींद है मेरी, तेरी मुलाकात ये प्यारे।।
©पंकज प्रियम
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