Sunday, December 30, 2018

494.पंकज कमल

नभ में इतराइ जब तरुण-अरुण लालिमा
रक्त किरणों से सजा जब धरा- आसमां।
पुलकित प्रभात जल-तरंगों से आ मिला,
हर्षित हुआ पंक तो जल से कमल खिला।

©पंकज प्रियम

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