साल की दहलीज़
इस साल की दहलीज़ पे आकर के खड़े हैं
क्या खोया-क्या पाया इसी चक्कर में पड़े है
नए साल में रखना तू कदम देखभाल कर
यहां गड्ढे भी बहुत है यहाँ ठोकर भी बड़े हैं।
नए साल में आएगा फिर चुनाव का मौसम
मिल जाएंगे नेता खड़े हाथ जोड़े हर कदम
देना तू अपना वोट... जरा ठोक-ठाक कर
ना आएंगे नेता कभी... फिर देने को दर्शन।
कुछ काम करो, नाम करो, देश का अपना
जैसे भी करो, पूरा करो तुम देश का सपना
इस देश की मर्यादा को रखना सम्भाल कर
बड़े शान से लहराना ध्वज देश का अपना।
©पंकज प्रियम
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