Saturday, December 8, 2018

468.तेरी चाहत


सुबह की धूप जैसी है, जवानी रूप जैसी है,
तेरी सादगी महकती, सुगन्धित धूप जैसी है।
नहीं कोई शिकायत है, नहीं कोई बगावत है-
तेरी चाहत बड़ी सच्ची, रसीली सूप जैसी है।।

© पंकज प्रियम

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