Friday, December 14, 2018

476.नादान दिल


दिल की बातें दिल से करता, कैसा दिल नादान है
अपनी सुनता अपनी करता, कैसा दिल नादान है
जीतकर दिल जो हार जाये,इश्क़ समंदर लहराए
खुद ही खुद को है तड़पाता, ऐसा दिल नादान है।

©पंकज प्रियम

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