1222 1222 1222 1222
निग़ाहों के समंदर से, मुझे इक जाम पिलाओ तुम,
नशे में जो कदम बहके, कदम से ताल मिलाओ तुम।
निग़ाहों के समंदर से, मुझे इक जाम पिलाओ तुम,
नशे में जो कदम बहके, कदम से ताल मिलाओ तुम।
नज़र में डूबकर कर तेरी, ज़िगर बैचेन हो जाता,
बहुत बेताब हूँ जानम, जरा दिल से लगाओ तुम।
बहुत बेताब हूँ जानम, जरा दिल से लगाओ तुम।
नयन के तीर से घायल, हुए कितने यहाँ पागल,
नशीले नैन से मुझपर, नहीं खंज़र चलाओ तुम।
नशीले नैन से मुझपर, नहीं खंज़र चलाओ तुम।
कमर तेरी लचकती है, जवानी बोझ से दबाकर,
नुमाईश हुस्न का करके, नहीं सबको जलाओ तुम।
नुमाईश हुस्न का करके, नहीं सबको जलाओ तुम।
तुम्हारा हुस्न जो छलका, समंदर ज्वार भर जाता,
जरा साहिल से टकरा के, अधर को चूम जाओ तुम।
जरा साहिल से टकरा के, अधर को चूम जाओ तुम।
मुहब्बत आग का दरिया, उतर जाऊं अगर मैं तो,
बरस बरखा बिना बादल, मुहब्बत झूम आओ तुम।
बरस बरखा बिना बादल, मुहब्बत झूम आओ तुम।
जवां दिल की सुनो धड़कन, बुलाती है तुझे हरक्षण,
प्रियम की बात भी सुन लो, जरा अपनी सुनाओ तुम।
प्रियम की बात भी सुन लो, जरा अपनी सुनाओ तुम।
©पंकज प्रियम
1 comment:
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२६ -१०-२०१९ ) को "आओ एक दीप जलाएं " ( चर्चा अंक - ३५०० ) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
Post a Comment