Sunday, September 22, 2019

660.सुजल गाँव

सुजल गाँव
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अभी समझ लो इसका मोल,
पानी कितना है अनमोल।
जन-जंगल जीवन-सृजन,
का है यह अमृत सा घोल।
हाँ कह दो सारी दुनिया को,
बजा-बजा के अब तो ढोल।

जल घिरी पर प्यासी धरती,
जल के बिना रहती परती।
अगर नहीं रिचार्ज हुई तो,
पल-पल धरती खुद मरती।
जल ही रचाये जग सारा-
बिन पानी कब दुनिया गोल।

केवल वर्षा जल का ठिकाना,
बचा के उसको सारा रखना।
समय-समय जल जाँच करा-
तू स्वच्छ शुद्ध ही जल पीना।
एक-एक बूँद को तरसोगे जो
अगर न समझे जल का मोल।

कुआँ- चुवां, नदी-तालाब,
कभी न करना इन्हें खराब।
गाँव का पानी रखना गाँव-
रखना एक-एक बूँद हिसाब।
अगर अभी जो तुम न चेते,
केपटाउन सा होगा होल।

हैंडपंप या हो जल की मीनार,
सब पर रखना तुम अधिकार।
इनकी मरम्मत तुमको करना-
गाँव के खुद हो तुम सरकार।
शुद्ध, सुरक्षित जल देने को,
'प्रियम' सुजल का नारा बोल।
©पंकज प्रियम

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