ख्वाहिश
एक तुझसे यही है गुज़ारिश सनम,
यार आँखों से ना कर तू बारिश सनम।
एक तुझसे यही है गुज़ारिश सनम,
चाँद तारों की ना कर तू ख्वाहिश सनम।
चाँद को आसमां से निहारा करो,
चाहतों से मेरी तुम गुजारा करो।
चाँद तारों को ना तुम उतारो जमीं
आसमां की यही है सिफारिश सनम।
एक तुझसे यही
इन सितारोँ को यूँ ही चमकने तो दो
फूल को बाग में ही महकने तो दो।
ना जमाने की बातों पे आना कभी
दूर करने की सबको है साज़िश सनम।
एक तुझसे यही...।
प्यार में ना रखो ऐसी हसरत कभी
हो सके जो न पूरी वो चाहत कभी।
रह गयी जो अधूरी तो दिल टूटता,
कर न ऐसी कोई फ़रमाइश सनम।
एक तुझसे यही...।
मेरी चाहत का तुझको है इक वास्ता,
ना सुनाना किसी को ये दिल दास्तां।
लोग ज़ख्मों पे मलते नमक हैं यहाँ-
इश्क़ में ना करो आजमाइश सनम।
एक तुझसे यही है गुज़ारिश सनम,
चाँद तारों की ना कर तू ख्वाहिश सनम।
© पंकज प्रियम
13/09/2019
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