ग़ज़ल
212 212 212
दिलबरों सी दवा कीजिए
दर्द देकर दुआ कीजिये।
दूर से दिल मिला है कभी,
पास आकर मिला कीजिये।
दिल लगाकर जरा देखिये
बाग में फिर खिला कीजिये।
हौसला जो बढ़ा हो अगर
प्यार में फिर ख़ता कीजिये।
हो गयी जो प्रियम से ख़ता
आप ही फैसला कीजिये।
©पंकज प्रियम
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