हिंदी
भाषा निज सम्मान है, भाषा से पहचान।
भाषा निहित समाज है, भाषा से अरमान।।
मातृभाषा से अपनी, करते सब हैं प्यार।
मातृभाषा बोल बड़ी, है अपना हथियार।।
हिंदी भाषा हिन्द की, अंग्रेजी को छोड़।
दिल बसा ले स्वदेशी, इससे नाता जोड़।।
हिंदी भाव सहज बड़ी, मीठे इसके बोल।
भाषा सब हिंदी खड़ी, कानों में रस घोल।।
©पंकज प्रियम
बिना शक्कर के मीठी खीर लगती हो,
सब भाषाओं में सबसे वीर लगती हो।
अपने ही घर में लाचार हुई जो हिंदी-
तुम पाक अधिकृत कश्मीर लगती हो।।
©पंकज प्रियम
1 comment:
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 14 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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