ग़ज़ल
जवां दिल बहकता मचलती रवानी,
मिले दो जवां दिल फ़िसलती जवानी।
नज़र से नज़र और अधर से अधर,
मिला जो अगर तो दहकता है पानी।
जुबाँ बंद लेकिन नज़र बोल जाती
मुहब्बत की होती यही है निशानी।
धड़कने लगे दिल अगर देख कर तो,
समझ लो शुरू हो गयी है कहानी।
लगे चाँद मद्धम, पवन छेड़ सरगम,
लगे साँझ सुरमय लगे रुत सुहानी।
धड़कते दिलों की जरा बात सुन लो,
करो तुम मुहब्बत सदा ही रूहानी।
मचल दिल उठेगा अगर तुम सुनोगे,
ग़ज़ल-ए-मुहब्बत प्रियम की जुबानी।
©पंकज प्रियम
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