हुस्न
छोड़कर तुझको हम किधर जाएंगे,
ख़्वाब तेरा होगा हम जिधर जाएंगे।
न देख ऐसे की सबपे कहर ढाएंगे,
देखकर तुझको सब यूँ मर जाएंगे।
हुस्न अपना कभी न यूँ सरेआम करो-
देख-देख कर सब आह भर जाएंगे।।
सज़ा होगी जो आह भरते मर जाएंगे।
छोड़कर तुझको...।
हो जन्नत की परी या हसीं ख़्वाब हो,
या गुलशन महकता हसीं गुलाब हो।
कयामत है तेरा ये हुस्न और जलवा-
चाँद हो चांदनी हो या आफ़ताब हो।।
आगोश में भर लो तो हम तर जाएंगे
छोड़कर तुझको.....।
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त...क्रमशः.....।
©पंकज प्रियम
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