Thursday, September 26, 2019

665. नजर से नज़र तक

नज़र से नज़र
122 122 122 122
नज़र से नज़र तब हमारी मिलेगी,
अगर जो इजाज़त तुम्हारी मिलेगी।

यकीनन दिलों पर चलेगी कटारी,
नज़र जब तुम्हारी हमारी मिलेगी।

निगाहों से ऐसे न खंज़र चलाओ,
नज़र से दिलों की सवारी मिलेगी।

समंदर से गहरी नज़र जो तुम्हारी,
कभी थाह लेने की बारी मिलेगी।

प्रियम को हजारों नज़र ढूढ़ती पर,
तुम्हारी नज़र सी न प्यारी मिलेगी।

©पंकज प्रियम

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