नज़र से नज़र
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नज़र से नज़र तब हमारी मिलेगी,
अगर जो इजाज़त तुम्हारी मिलेगी।
यकीनन दिलों पर चलेगी कटारी,
नज़र जब तुम्हारी हमारी मिलेगी।
निगाहों से ऐसे न खंज़र चलाओ,
नज़र से दिलों की सवारी मिलेगी।
समंदर से गहरी नज़र जो तुम्हारी,
कभी थाह लेने की बारी मिलेगी।
प्रियम को हजारों नज़र ढूढ़ती पर,
तुम्हारी नज़र सी न प्यारी मिलेगी।
©पंकज प्रियम
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