भारत माता की जय
नहीं फादर ऑफ इंडिया मोदी,
नहीं फादर ऑफ नेशन गाँधी।
नहीं उचित लफ्ज़ राष्ट्रपिता,
नहीं उचित शब्द ये राष्ट्रपति।
राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष कहलाते,
राष्ट्रपिता राष्ट्रसपूत बन जाते।
भारत तो बस माता है सबकी,
पावन धरती के हैं लाल सभी।
जहाँ राम-कृष्ण अवतार हुआ,
महाबीर-बुद्ध को ज्ञान मिला।
भरत नाम से भारत का नाम,
धरती पुत्र खुद कहलाये राम।
अखण्ड भारत का स्वप्न सजा,
चाणक्य ने चन्द्र को ताज दिया।
सम्राट अशोक बना महान यहाँ,
कहलाया न भारत का बाप यहाँ।
©पंकज प्रियम
नोट:- ये नितांत मेरी निजी भावना है। किसी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं है। महात्मा गाँधी को मैं हृदय से सम्मान करता हूँ। लोगों के अपने अलग विचार हो सकतें है।
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