भारत माता
सुनो-सुनो, ऐ दुनिया वालों, हमको न ललकार यहाँ,
हम भारत के वासी हैं, हिम्मत ही तलवार यहाँ।
कण-कण वीर जवानी है, जन-गण लिखी कहानी है-
रक्त तिलक हम करते और हाथों को हथियार यहाँ।
भारत सबकी माता है, सब इसकी संतान यहाँ,
इस माटी के कण-कण से, सबका जुड़ा सम्मान यहाँ।
अमर तिरंगा लहराता, भारत माँ के हाथों में-
भारत माँ की आँचल का, सबको है अभिमान यहाँ।।
वीर शिवा के वंशज हैं, कुँवर की वो तलवार यहाँ,
झाँसी वाली रानी की, गूँजती वो ललकार यहाँ।
हल्दीघाटी की माटी में, राणा का इतिहास लिखा-
वीरों की इस धरती में, चेतक भी हथियार यहाँ।।
माँ भवानी दुर्गा काली, चामुण्डा विकराल यहाँ,
सुदर्शन धारी विष्णु हरि, शंकर महाकाल यहाँ।
कान्हा ने महाभारत रच दी, अर्जुन वीर धनुर्धारी-
पवन पुत्र ने लंका जारी, राम बने खुद काल यहाँ।
सुभाष-भगत-सुखदेव-गुरु, चन्द्रशेखर आज़ाद यहाँ,
अशफाक उल्ला और बिस्मिल, अंग्रेज़ो को याद यहाँ,
बापू का वो सत्याग्रह, सरदार पटेल सा लौहपुरूष-
आज़ादी के दीवाने सब, वीरों से धरा आबाद यहाँ।।
गीता का उपदेश जहाँ, बाइबिल पाक कुरान यहाँ,
मन्दिरों में बजती घण्टी, मस्ज़िद में अज़ान यहाँ।
हिन्दू- मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई, आपस में भाई-भाई
गंगा-यमुना की धारा, बुद्ध-महावीर ज्ञान यहाँ।।
चन्द्रगुप्त का शौर्य यहाँ, चाणक्य बड़े विद्वान यहाँ,
पोरस जैसा बलशाली, सम्राट अशोक महान यहाँ।
सिकन्दर जीत न पाया, अकबर का अभिमान घटा-
शूरवीरों की यह धरती, सबको मिला सम्मान यहाँ।।
उत्तर से दक्षिण और पूरब-पश्चिम एक समान यहाँ,
भारत से सुंदर और नहीं देख लो दुनियाँ जहान यहाँ।
सोने की यह चिड़ियां है, विश्व में सबसे बढियां है-
भारत माता की जय बोलो, सबका हिंदुस्तान यहाँ।
©पंकज प्रियम
No comments:
Post a Comment