Monday, September 16, 2019

656. छुपाना भी है

ग़ज़ल
उन्हें हाल दिल का बताना भी है,
मगर राज अपना छुपाना भी है।

जरा तुम बताओ कि मैं क्या करूँ,
उन्हें प्यार अपना जताना भी है।

बचा के नज़र आज जाऊं किधर,
नज़र से नज़र जो मिलाना भी है।

कभी जख़्म उनको दिखाया नहीं,
छुपा कर उसे मुस्कुराना भी है।

प्रियम आज सबकुछ बताना नहीं,
वचन जो दिया वो निभाना भी है।
©पंकज प्रियम
16/09/2019

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