Sunday, May 5, 2019

563. सुसाइडल रिजल्ट

सुसाइडल रिजल्ट

---पंकज भूषण पाठक

यूपी बोर्ड के नतीजों के बाद बच्चों की आत्महत्या ने एकबार सोचने पर विवश कर दिया है। आखिर हम कैसी शिक्षा दे रहे या अपने बच्चों से उम्मीद कर बैठे हैं जो उनकी मौत की वजह बन रहे हैं।
      घर, स्कूल या मीडिया हर जगह से बच्चों पर दबाव बढ़ता जा रहा है टॉप ग्रेडिंग के लिए। स्कूल 100 प्रतिशत का दबाव देते हैं जिसके कारण माँ-बाप भी बच्चों पर आवश्यक दबाव भर देते हैं। मीडिया भी बोर्ड के रिजल्ट में टॉपर की टीआरपी खेलने लगती है। जिसका असर स्कूल,अभिभावकों और खासकर बच्चों पर पड़ता है।थोड़े कमजोर बच्चे कुंठा के शिकार हो जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं।  कोटा यूँ ही नहीं सुसाइड सिटी में तब्दील हो चुका है।
             सिर्फ मीडिया क्यूँ? शिक्षा को व्यापार बनाने वाले स्कूल क्यों नहीं जो किताब से जूते तक बेचते हैं सिवाय संवेदनशील शिक्षा के! साथ नयी शिक्षा और अंक प्रणाली भी है जो स्टूडेंट्स को अंक की मशीन बना रखा है। ग्रेडिंग तो स्कूलों में शुरू कर दी जाती है। अभिभावकों पर भी अंको का बोझ बढ़ा दिया जाता है। माता पिता भी अपने बच्चों को टॉप होने का दबाव देते रहते हैं। महँगी शिक्षा और नई अंक पद्धति से अभिभावकों में भी जबरदस्त प्रेशर बैठ गया है। वे बच्चों को 100 परसेंट मार्क्स लाने का प्रेशर बनाते हैं जिसके कारण बच्चों में हीनता का भाव बढ़ जाता है। पहले गिने-चुने 60 प्रतिशत अंक वाले ही टॉपर होते थे अब तो सौ में भी प्रतिस्पर्धा है। इसके लिए हर कोई जिम्मेदार है।

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