Sunday, May 5, 2019

559.छलिया

छलिया/मुक्तक
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छले जो बात से सबको, वही छलिया कहा जाता
लगाकर झूठ का तड़का, जली रोटी खिला जाता।
बहाने खूब करता जो, .....हमेशा झूठ कहता वो-
दिखाकर ख़्वाब फूलों का, वही काँटे चुभा जाता।।
©पंकज प्रियम

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