गंदी बात
आज सीमा बहुत हताश-निराश थी. जाहिद खान जिसे उसने अपना भाई से बढ़कर माना था, सम्मान दिया था.
"आज उसने सारी मर्यादा लाँघ दी . यूँ तो कई बार उसके खिलाफ अपशब्द कहे लेकिन आज .उसने... जो भरे मंच से कहा ...मानो भरे दरबार में किसी ने उसका चीरहरण कर लिया हो."
.. कई वर्षो से सीमा और जाहिद दोनों एक ही पार्टी से थे और पिछली बार का चुनाव भी जीता था. इसबार दूसरे दल से चुनाव लड़ रही थी और जाहिद खान की प्रतिद्वंदी बन गयी थी. चुनाव प्रचार में जाहिल ने सीमा को लेकर इतनी गन्दी बात कह दी की रामनगर में यह चर्चा का विषय बन गया.
"अरे ,रामू आज जाहिद खान का बयान सुना बेचारी सीमा के बारे में कैसी बातें कर रहा था ?" मोहन ने रामू से मिलते ही पूछा .
" हाँ सुना टीवी पर.कितना बेशर्म है, अरे माना की वो उसके विरोध में खड़ी है लेकिन किसी महिला के विषय में ऐसा बयान .छि -छि -छी" रामू तो बिलकुल आवेश में आ गया.
" बताओ तो सही, कोई सभ्य नेता औरतों के विषय में ऐसी बात करता है? उसने तो मर्यादा की सारी सीमा लाँघ दी. उसे सबक तो सिखाना ही होगा "
" अरे हैरानी की बात तो यह है की असहिष्णुता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र की दुहाई देने वाले सारे नेता,बुद्धिजीवी, पत्रकार, कलाकार और मानवाधिकारी इसपर चुप्पी साध कर बैठे हैं।"
" तुम्हे समझ में नही आ रहा है जाहिद खान के पीछे एक खास वोट बैंक है .कोई उसके खिलाफ बोल कर अपना नुकसान नहीं करना चाहता है."
'यही तो इस देश का दुर्भाग्य है जो इसे खोखला करता जा रहा है."
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड
pankajkpriyam@gmail.com
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