ग़लतफ़हमी में ही अक्सर, रिश्ते टूट जाते हैं
बिखर जाते सभी नाते,...अपने छूट जाते हैं।
कभी नफ़रत नहीं करना, चाहत रंग तू भरना
भुलाकर रंजिशें सारी, दिलों में प्रेम ही रखना।
शिकायत हो अगर कोई, खुल के बात कर लेना
कभी दिल में दबाकर तुम, नहीं बर्बाद कर लेना।
भले मतभेद हो जाए, कभी मनभेद नहीं करना।
मनमुटाव अगर हो तो, नहीं मन मैला तू करना।
दिलों की दूरियां अक्सर, दिलों को तोड़ देती है।
सफ़र जीवन में ये अक्सर....तन्हा छोड़ देती है।
©पंकज प्रियम
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